ये मिलन है कितना प्यारा

कितना सुकून है दोस्तों
प्रकृति की गोद में ...
हरियाली का घना आँचल है दोस्तों
प्रकृति की गोद में ...
कल कल का कलरव करते झरने
फूटे चट्टानों के सीनों से
बरखा रानी की बाट जोहते थे
जो पिछले कई महीनों से

बरखा से दीदार करने को
प्रकृति ने खुद को सजाया
उसकी खूबसूरती पर निखार लाने को
सूरज मीठी मीठी सुनहरी धूप लाया
बादल ने ठंडी बयारों का आँचल
प्रकृति को पहनाया
देखों बरखा संग प्रकृति के
मधुर मिलन का मौसम आया।

- गायत्री शर्मा

नोट : यह कविता मेरी स्वरचित है व साथ ही कविता के साथ संलग्न चित्र भी मेरे द्वारा ही लिया गया है। कृपया इनका उपयोग करने से पूर्व मेरी अनुमति जरूर लें।

Comments

अच्छी कविता के लिए धन्यवाद्|
अच्छी रचना और चित्र के साथ
ब्लॉग जगत में आगमन पर आपका स्वागत है.
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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