शिक्षक दिवस विशेष 'नईदुनिया युवा' इंदौर

गुरु और शिष्य के बीच का रिश्ता इतना मधुर होता है कि उसमें शब्दों की बजाय मौन ही सबकुछ कह जाता है। गुरू के मौन में गुरु की गुरुता, उसका ज्ञान, उसका अनुभव और शिष्य की कामयाबी में गुरु की झलक और शिष्य की मेहनत स्वत: ही दिखाई पड़ती है। इस रिश्ते का बखान करने के लिए न तो कोई झूठी तारीफ के शब्द चाहिए और न ही कोई महँगे उपहार।

गुरु का दिल तो शिष्य के मन में उसके प्रति सम्मान और शिष्य की कामयाबी को देख ही गद्गद हो जाता है। गुरु भी स्वयं को तभी धन्य समझता जब उसका शिष्य दुनिया में अपने अच्छे कार्यों से गुरु के नाम को रोशन करता है। गुरु शिष्य के बीच समझ और सहयोग के इसी रिश्ते पर आधारित मेरी कवर स्टोरी है 2 सितंबर के नईदुनिया युवा में। कृपया इस स्टोरी को पढ़ मुझे अपने फीडबैक अवश्य दें। आप इस समाचार पत्र को www.naidunia.com पर लॉग इन 'युवा' वाले बॉक्स पर क्लिक कर भी पढ़ सकते हैं।

- गायत्री

Comments

आज अचानक आपके ब्लॉग पर आना हुआ...आपका ब्लॉग सोच प्रस्तुतीकरण रचनाएँ सभी उच्च कोटि की और बहुत प्रभावशाली हैं...लिखती रहें...
नीरज
Unknown said…
hummmmm !!!!!!achcha laga aapka blog !!
शुक्रिया नीरज जी, आपके सुझावों का स्वागत है।
मनोहर जी, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।

Popular posts from this blog

महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में ब्लॉगरों का जमावड़ा

रतलाम में ‘मालवी दिवस’ रो आयोजन