खामोशी की खामोशी से बातें
आओ करे खामोशी से बातें
खो जाएँ उस शून्य में
जिसका विस्तार है अनंत
आओं करे खामोशी से बातें
शब्द का शोर भूलकर
अँधेरे की खूबसूरती में खोकर
खोले दिल के राज
कह दो आज तुम भी
मन की पोटली में छुपी प्यारी सी बात
आओ करे खामोशी से बातें
समझे आँखों के ईशारे
जो ले चले हमें रिवाजों से परे
चलो सनम हम चले वहाँ
जहाँ न हो कोई तीसरी आँख
दो आँखे ही कहे और समझे
दिल से दिल की कही बात
आओ करे खामोशी से बातें
बैठे उस आम के पेड़ की गोद में
जिसकी पत्तियों की सरसराहट में
छुपी है मधुर संगीत की धुन
जिसके फलों से टकराकर पत्तियाँ
बजती हो ऐसे जैसे जलतरंग
सीखे उस आम से
प्रेम की ठंडक का अहसास
आओ करे खामोशी से बातें
मेरे आँचल में छुप जाओं तुम इस तरह
जैसे छुपा हो चाँद बादलों की ओट में
शरमाई सी अलसाई सी हवा भी
हमसे ऐसे लिपट जाएँ
जैसे हो रहा हो
धरा और गगन का मिलन
आओ करे खामोशी से बातें
- गायत्री शर्मा
Comments
सादर अभिवादन !
पहली बार पहुंचा हूं आपके यहां नेट-भ्रमण करते करते …
बहुत अच्छा लगा आ'कर ।
प्रस्तुत रचना भी प्रभावित करने वाली है …
शब्द का शोर भूल कर
अधेरे की ख़ूबसूरती में खो'कर
खोलें दिल के राज़
कह दो आज तुम भी
मन की पोटली में छुपी प्यारी सी बात
आओ करे ख़ामोशी से बातें …
सुंदर रचना के लिए आभार और बधाई !
…और भी श्रेष्ठ सृजन के लिए मंगलकामनाएं हैं …
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सादर प्रणाम
आपने बहुत भाव पूर्ण पंक्तियाँ रची हैं ...आपका आभार
कभी मेरे ब्लॉग www.chalte-chalte.com पर भी अपना मार्गदर्शन दीजिये ...आपका आभारी रहूँगा ...!
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.