बॉलीवुड का राजा ... 'राजेश'

राजेश खन्ना की पहली बरसी ... पर लगता है आज भी वह जिंदा है हमारे दिलों में। हमारे रिश्तों में, प्रेम की अठखेलियों में। लगता है उनकी मदहोश कर देने वाली मुस्कुराहट आज भी प्रेमियों को खुश देखकर दुआएँ देती है। फिल्मों में रोमांस को एक नई पहचान देने वाले राजेश खन्ना की मिसाल अब तक प्रेमी-‍प्रेमिका के रिश्तों में दी जाती है। उनके डायलॉग आज भी प्रेम के रिश्तों में जीवंतता पैदा करते हैं। सच कहें तो उनका लुक, उनकी अदायगी, उनकी आवाज ... वाकई में लाजवाब थी। जितनी कामयाबी इस सितारे ने अपने फिल्मी करियर में देखी। उससे कही अधिक सूनापन व अकेलापन उनकी जिंदगी में पसरा था। कहने को बॉलीवुड के इस सुपरस्टार का जीवन व जिंदगी के अंतिम क्षण तन्हाई व दर्द के नाम रहे। मौत की बाद भी उनकी संपत्ति को लेकर हुए विवाद खुलकर सामने आए। राजेश खन्ना की पहली बरसी पर मेरी कलम से इस रोमाटिंक हीरों के प्रति श्रृद्धांजलि - 
  
राजेश खन्ना, बॉलीवुड जगत का एक चमकता सितारा। जिसके कामयाबी की बुलंदी सितारों की ऊँचाईयों को छूती थी। 1970 का दशक बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का दौर था। यह वह दौर था, जब रोमांस के इस किंग की बॉलीवुड में एकतरफा तूती बोलती थी। अपनी दिलकश रोमांटिक अदाएँ, मस्तानी चाल, आकर्षक रंग-रूप और दमदार अदाकारी के बूते पर राजेश खन्ना ने फिल्मों के पर्दे पर रोमांस को एकदम जीवंत कर दिया।

‘राजेश’ के प्रेम की दीवानगी :
कहते थे कि राजेश खन्ना की कामयाबी के दौर में लड़कियाँ इस रोमाटिंक हिरों की एक झलक मात्र पाने को उनके बँगले व स्टूडियों के बाहर घंटों तक टकटकी लगाएँ खड़ी रहती थी। लड़कियों की अपने इस चहेते हीरों के प्रति दीवानगी का आलम यह था कि राजेश खन्ना के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए लड़कियाँ उन्हें अपने खून से लिखे प्रेम-पत्र भेजती थी और राजेश के न मिलने पर उनकी कार को ही अपने लिपस्टिक लगे होठों से चूम लेती थी। उस वक्त काका की कार लड़कियों के ‘किस’ से रंग-बिरंगी हो जाया करती थी। अपने हीरों के प्रति दीवानगी को दिखाने के लिए कोई लड़की तो अपने इस हिरों की तस्वीर से ही शादी कर लेती थी तो कोई उन्हें मन ही मन अपना पति मानकर उनके नाम का सिंदूर लगाकर उनकी पत्नि बन जाती थी।
वाह, वाकई में खुशनसीब था वह हिरों, जिसने प्रेम की इस अति को देखा व महसूस भी किया। देवता, प्रेमी व एक अच्चे हिरों की तरह सराहे जाने वाले राजेश के दिवानों की दिवानगी उम्र से परे थी। न केवल ‍बच्चे, बड़े बल्कि समाज के हर तबके व उम्र के लोग काका के दीवाने थे और दीवाने रहेंगे।   

प्यार की उम्र नहीं :
राजेश खन्ना की कामयाबी से प्रभावित होकर 70 के दशक में पैदा होने वाले अधिकांश लड़कों के नाम भी ‘र’ से ‘राजेश’ रखे जाते थे। कई लोगों का राजेश नाम रखने का कारण ही बॉलीवुड का रोमाटिंक हीरों राजेश खन्ना ही है। खैर छोडि़ए इन बातों को ...। रोमांस के इस किंग ने शादी, प्यार और फिल्मों तीनों में कमाल और चमत्कार कर अपने प्रशंसकों को चौंकाया। मुमताज के साथ फिल्मों में बेमिसाल जोड़ी बनाने वाले राजेश खन्ना ने शादी की तो अपने से 15 साल छोटी लड़की डिंपल कपाडि़याँ। फिल्म बॉबी की डिपंल राजेश को इतनी भाई कि ऋषि कपूर से पहले ही राजेश ने डिपंल पर अपनी मुहर लगा दी। यही वजह थी कि जहाँ पूरा बॉलीवुड राजेश और डिंपल की शादी में शरीक हुआ। वहीं राजेश खन्ना इस शादी से नदारद नजर आएँ।
राजेश और डिपंल की शादी को देखकर यह कहना सही होगा कि प्यार में न उम्र की सीमाएँ होती है और न ही जात-पात का बँधन। यह तो दिल से दिल का बँधन है। इस सुपरस्टार की कामयाबी इस कदर थी कि राजेश खन्ना की शादी के बाद देश भर के थिएटरों में कोई भी फिल्म रिलीज होने से पहले राजेश खन्ना की शादी का विडियों दिखाया जाता था। जितनी तेजी से राजेश और डिपंल पर प्रेम का सुरूर चढ़ा और दोनों ने शादी की, उतनी ही तेजी से उम्र बढ़ने के साथ प्यार की चमक फीकी पड़ने के साथ-साथ इन दोनों में अलगाव की खबरे भी आने लगी। शादी के दस सालों बाद ही डिंपल और राजेश के दापंत्य की पटरी आपसी तालमेल के ट्रेक से उतर गई और राजेश और डिपंल के मध्य अलगाव खुलकर सामने आने लगा, जिसके चलते ये दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए।     
फिल्म और राजनीति दोनों में सफलता :  
न केवल फिल्म बल्कि राजनीति में भी राजेश खन्ना के प्रशंसकों ने उनका बखूबी साथ निभाया। राजनीति के क्षेत्र में राजेश खन्ना वर्ष 1991 से 1996 तक सक्रिय रहे। वर्ष 1991 में राजेश खन्ना ने बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ा। उस वक्त यह सुपरस्टार लगभग 1000 वोटों के अंतर से आडवाणी से हारे थे। इस हार में भी साफ तौर काका की सफलता झलक रही थी क्योंकि आडवाणी जैसे दिग्गज नेता को काँटे की टक्कर देना हर किसी के बस की बात नहीं थी। राजेश खन्ना संभवत: भारत के पहले सुपरस्टार थे, जिनका जिक्र कोर्स की किताबों में शामिल किया गया था। मुबंई यूनिवर्सिटी की किताबों में ‘द करिज्मा ऑफ राजेश खन्ना’ शीर्षक से राजेश खन्ना को शामिल किया गया।

लगातार 15 सुपरहिट फिल्में :  
1969 से 1971 तक लगातार 15 सुपरहिट फिल्में देने वाले तब के और अब तक के एकमात्र सुपरस्टार राजेश खन्ना ही है। उनकी इन सुपरहिट फिल्मों में आरधना, डोली, बँधन, इत्तेफाक, दो रास्ते, खामोशी, सफर, दि ट्रेन, कटी पतंग, सच्चा-झूठा, आन मिलो सजना, मेहबूब की मेहँदी, दुश्मन, हाथी मेरे साथी और आनंद है। काका ने तकरीबन 128 फिल्मों में लीड हिरों के तौर पर काम किया और 16 बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से भी नवाज़ा गया। 

किशोर और राजेश का साथ :
किशोर कुमार की आवाज राजेश खन्ना के व्यक्तित्व पर कुछ इस तरह से फँबी की, किशोर और राजेश खन्ना की गायक और अभिनेता के रूप में जुगलबंदी ने लगातार कई हिट फिल्में दी। लगभग 90 फिल्मों में किशोर दा ने काका के लिए गीत गाएँ। किशोर की गायकी को राजेश खन्ना के बारे में यह कहकर सराहा जाता था कि यह आवाज किशोर की नहीं बल्कि राजेश खन्ना की ही है। गायक के तौर पर किशोर की कामयाबी की शुरूआत भी राजेश खन्ना पर फिल्माएँ गीतों से ही हुई थी। यही वजह है कि कई फिल्मों में काका के लिए गीत गाने वाले किशोर ने राजेश खन्ना की फिल्म ‘अलग-अलग’ के लिए फ्री ऑफ चार्ज गीत गाए।


अंतिम बिदाई पर रो पड़े बदरा :
न केवल राजेश खन्ना के प्रशंसक बल्कि प्रकृति ने भी राजेश खन्ना की अंतिम बिदाई पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। करीब 9 लाख लोग काका को अंतिम बिदाई देने के लिए 19 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना की अंतिम यात्रा में शामिल हुए। ‍न केवल काका के प्रशंसक बल्कि प्रकृति ने भी रिमझिम बरसकर अपनी नम आँखों से काका को बिदाई दी। कहने को तो राजेश खन्ना का शरीर अब पंचतत्व में विलीन हो गया है लेकिन उनकी कामयाबी की गूँज सदा के लिए भारतीय फिल्म जगत में अपनी उपस्थिति को दर्ज कराएगी।

राजेश खन्ना पर फिल्माएँ सदाबहार गीत :    
जिंदगी कैसी है पहेली ....
मेरे सपनों की रानी ...  
कुछ तो लोग कहेंगे ...
रूप तेरा मस्ताना ...
कोरा कागज था ये मन मेरा ...
जिंदगी एक सफर है सुहाना ...
कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाए  ...
छुप गए सारे नज़ारे ...
यूँ ही तुम मुझसे बात करती हो ... 

- गायत्री 

चित्रों हेतु साभार : दि इंडियन एक्सप्रेस (http://www.indianexpress.com/picture-gallery/fans-remember-rajesh-khanna-on-his-first-death-anniversary/3076-4.html

Comments

irshad kaptan said…
badiya lekh k liye Gayatri.. ko bahut badhaie...
बहुत सुंदर .....उम्दा आलेख .. परिपूर्ण ........गायत्री जी ....
बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी।

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