क्या तू छलावा है?
तू छलावा है या
सच की आड में झूठ
ज्यादा है
हकीकत को झुठलाने का
एक सच्चा सा लगता
झूठा वादा है
क्या सचमुच तू छलावा
है?
आँखे बंद करूँ तो
सामने आ जाएँ
खुली आँखों में दूर
खड़ी मुस्कुराएँ
तेरी कल्पनाओं में
जिंदगी का
मजा कुछ ओर ही आता
है
क्या सचमुच तू छलावा
है?
नींदे, यादें, सब
कुछ तू ले गई
जाते-जाते मीठी
यादों का सहारा दे गई
तेरी बातों को सोचकर
तेरी तरह होंठ हिलाना
मुझे बड़ा भाता है
क्या सचमुच तू छलावा
है?
मेरी स्वप्न सुंदरी
काश तू सामने होती
कह देता मैं तुझे
अपने दिल की बात
हकीकत में तुझे अपना
बना लेता
फिर कहता कि तू
छलावा नहीं मेरा साया है
क्या सचमुच तू छलावा
है?
- - गायत्री
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