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ये कैसी आजादी है?

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ये कैसी आजादी है? मिलकर भी अधूरी सी... कुछ कमी से भरी नन्ही गुलामी में लिपटी आजादी भ्रष्टाचार के रंग चढ़ी मंहगाई से महंगी और टैक्स से वजनदार आजादी कुछ छिनी भ्रष्ट राजनीति ने कुछ विदेशी घुसपैठियों ने शेष ले गया काश्मीर और पाकिस्तान अब बची है शेष देश को अखंडित रखने की आस विद्रोह और अलगाव की आग में टुकड़ा-टुकड़ा हो रहा मेरा हिंदुस्तान ऐसे में मैं कैसे मनाऊं आजादी की वर्षगाँठ? 14 अगस्त तक अखंड भारत, 15 अगस्त को खंडित हो गया। सोने की चिड़िया सा चमकता देश आज तिनके - तिनके सा बिखर रहा। जिसे  पाकर भी हो फिर पाने की आस उस आजादी पर मैं कैसे करूं विश्वास? ये कैसी आजादी है ? मिलकर भी अधूरी सी...                    - डाॅ.  गायत्री

बांग्लादेशी घुसपैठियों का गढ़ बना असम

असम में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर आॅफ सिटीजंस) का मुद्दा अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस चुनावी मौसम का फायदा उठाकर इस मुद्दे को भुना रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि असम में बांग्लादेशीघुसपैठियों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है। आँकड़ों पर नजर डाले तो तकरीबन 40 लाख लोग गैर असमी यानि कि बांग्लादेशीघुसपैठी है। यदि इन लोगों को असम की नागरिकता दे दी गई तो असली असमी नागरिकों का तो वर्चस्व ही खत्म हो जाएगा। ऐसे में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों की बढ़ती संख्या से हिंदू देश का यह राज्य मुस्लिम राज्य बन जाएगा।        कही न कही यह हमारी अति उदारता का ही परिणाम है कि देश की विविध सीमाओं से आए घुसपैठियों को हम न केवल गले लगाते है अपितु उन्हें हमारे देश में व्यापार-व्यवसाय और रहने की आसान सुविधाएं भी मुहैया कराते है। इसके ठीक उलट हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान घुसपैठियों को जेल में बंद कर उन्हें ऐसी अनेक यातनाएं देता है, जिसके बारे में सुनकर ही व्यक्ति दूर से ही उस देश से किनारा कर लेता है। पाकिस्तान में बस रहे गैर मुसलमानों की विशेषकर  सिक्खों की स्थिति अति दयनीय है। व