tag:blogger.com,1999:blog-414109135532452753.post3724228586349220030..comments2024-01-23T10:55:10.404+05:30Comments on चरकली: शब्द सम्हारे बोलिएँ, शब्द के हाथ न पाँवडॉ. गायत्री शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09608141295029562141noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-414109135532452753.post-20432745281376976742013-11-26T21:43:39.371+05:302013-11-26T21:43:39.371+05:30संजय जी, आपकी टिप्पणी से मैं सहमत हूँ। मेरी राय मे...संजय जी, आपकी टिप्पणी से मैं सहमत हूँ। मेरी राय में जब हम शब्दों का संभालकर प्रयोग करने की बजाय उनसे खेलने लगते हैं अर्थात बगैर सोचे-समझे उनका उल्टा-सीधा प्रयोग करने लगते हैं। तब बदले में शब्द हमें भी अपना खेल दिखाने लगते हैं यानि की हमारी छवि को ही खराब करने लगते हैं। डॉ. गायत्री शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09608141295029562141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-414109135532452753.post-50070163425144340982013-11-26T18:50:46.068+05:302013-11-26T18:50:46.068+05:30शब्द बाण खतरनाक होते ,.....एक बार निकलने के बाद .....शब्द बाण खतरनाक होते ,.....एक बार निकलने के बाद ..वापिस नही आता ........सिर्फ ..खेद......खेदसंजय जोशी "सजग "https://www.blogger.com/profile/09615720917812677951noreply@blogger.com