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I;kjs nknw]                 आप कैसे है ? आज से ठीक एक साल पहले आप मुझे छोड़कर बहुत दूर चले गए और अपने पीछे जिंदगी की अमर खुशियों की सौगात छोड़ गए. 09 जुलाई 2016 का वो दिन अच्छे से याद है मुझे , जब सुबह-सुबह रतलाम से इंदौर जाते समय मैंने आपको खर्राटे भरते हुए चैन की नींद सोते हुए देखा था. कितनी खुश थी मैं उस दिन. अगले दिन ही मैंने आपके लिए इंदौर से गरम कपड़े खरीदे थे ताकि ठंडी हवा के थपेडो में भी आपका बदन ना कपकपाए , लेकिन मुझे क्या पता था कि आपकी जिद मेरी उम्मीदों को एक झटके में तो ड़ देगी और मुझे अपने खरीदे उन कपड़ों को एक ऐसे बूत को पहनना पड़ेगा , जो जमीन पर लेटा तो है पर हिलता-डुलता नहीं , जिसके चेहरे पर आज भी वही तेज और मुस्कुराहट है , लेकिन वो बोलता नहीं.आखिर मुझसे ऐसी क्या भूल हुई , जो आपने मुझसे हमेशा की चुप्पी कर ली ? दादू , प्लीज़ वापस आ जाओ ना.        ऐ दादू , सुनो ना , आज आपके इकलौते बेटे नाना यानि कि मेरे पापा का बर्थडे है.मुझे पता है अपने बेटे को आशीर्वाद देने के लिए आज आप जरूर आओगे.आज आपका कोई बहाना नहीं चलेगा वर्ना पापा का गुस्सा तो आप जानते ही हो ना. देखो , आज मैंने आप

लो आ गयी शरारतों वाली होली

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लो आ गयी शरारतों वाली होली  पिचकारियों के छिटो संग  दोस्तों संग मौज-मस्ती और हँसी-ठिठौली लो आ गयी ... किसी ने गालों पर मल दिया गुलाल  मित्रता के चटक रंग से, मस्ती की भंग से  तन-मन हुआ, हरा-पीला, गुलाबी-लाल  निकली आज तंग गलियों में वही पुरानी टोली  लो आ गयी ... यादों के झरोखों से मस्ती के पलों को चुराया जाए  हुड़दंगी दोस्तों की महफ़िल को फिर से सजाया जाए  तराने दोस्ती के आज फिर गुनगुना लो यारों मस्ती के इस समां को रंगीन बना लो यारों  लो आ गयी ...  भागों,पकड़ो की गूंज मची है चारों ओर हर तरफ है आज हँसी-ठहाकों औऱ गुब्बारों की पचाक का शोर  बच ना जाए आज कोई, लगा लो पूरा जोर  होली की हुड़दंग में हर दिल कहे वन्स मोर, वन्स मोर  लो आ गयी ...                                            - गायत्री  चित्र साभार - गूगल