ये कैसी आजादी है?
ये कैसी आजादी है? मिलकर भी अधूरी सी... कुछ कमी से भरी नन्ही गुलामी में लिपटी आजादी भ्रष्टाचार के रंग चढ़ी मंहगाई से महंगी और टैक्स से वजनदार आजादी कुछ छिनी भ्रष्ट राजनीति ने कुछ विदेशी घुसपैठियों ने शेष ले गया काश्मीर और पाकिस्तान अब बची है शेष देश को अखंडित रखने की आस विद्रोह और अलगाव की आग में टुकड़ा-टुकड़ा हो रहा मेरा हिंदुस्तान ऐसे में मैं कैसे मनाऊं आजादी की वर्षगाँठ? 14 अगस्त तक अखंड भारत, 15 अगस्त को खंडित हो गया। सोने की चिड़िया सा चमकता देश आज तिनके - तिनके सा बिखर रहा। जिसे पाकर भी हो फिर पाने की आस उस आजादी पर मैं कैसे करूं विश्वास? ये कैसी आजादी है ? मिलकर भी अधूरी सी... - डाॅ. गायत्री