‘लव’ के नाम पर ‘जिहाद’ क्यों?
- गायत्री शर्मा ‘लव जिहाद’ यानि कि ‘प्रेम युद्ध’, यह शब्द अब उत्तरप्रदेश के सियासी गलियारों से निकलकर दिल्ली की ज़ामा मस्जि़द में गूँज रहा है। उत्तरप्रदेश में चुनाव के मद्देनजर भगवाधारी जहाँ इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बना रहे हैं वहीं इस्लाम धर्मावलंबी इसे इस्लाम की छवि को धूमिल करने के लिए काल्पनिक रूप से गढ़े मुद्दे का नाम दे रहे हैं। इस मुद्दे में कितनी हकीकत है। यह तो हमें वक्त और तथ्य ही बताएँगे लेकिन यहाँ सवाल यह उठता है कि चुनावी माहौल में अचानक इस मुद्दे को और वह भी मुस्लिम बाहुल्य राज्य उत्तरप्रदेश में उठाया जाना कितना लाजि़मी है? ‘लव जिहाद’ का सीधा अर्थ दुर्भावनावश किया गया प्रेम और विवाह है। हकीकत में हम इसे प्रेम भी नहीं कह सकते हैं क्योंकि प्रेम कभी भी इच्छा के विरूद्ध धर्मांतरण के नाप़ाक इरादे से नहीं किया जाता है। हाँ, यह ज़रूर हो सकता है कि प्रेम समाज के कड़े कायदों व कानून के शिंकजे से बचने के लिए स्वेच्छा से इस्लाम कबूल कर निकाह के रूप में विवाह करने की गली निकाल सकता है परंतु धोखाधड़ी के लिए जबरन धर्मांतरण कराना इसका भी मकसद नहीं होता है। यकी