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Showing posts from July, 2013

बॉलीवुड का राजा ... 'राजेश'

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राजेश खन्ना की पहली बरसी ... पर लगता है आज भी वह जिंदा है हमारे दिलों में। हमारे रिश्तों में, प्रेम की अठखेलियों में। लगता है उनकी मदहोश कर देने वाली मुस्कुराहट आज भी प्रेमियों को खुश देखकर दुआएँ देती है। फिल्मों में रोमांस को एक नई पहचान देने वाले राजेश खन्ना की मिसाल अब तक प्रेमी-‍प्रेमिका के रिश्तों में दी जाती है। उनके डायलॉग आज भी प्रेम के रिश्तों में जीवंतता पैदा करते हैं। सच कहें तो उनका लुक, उनकी अदायगी, उनकी आवाज ... वाकई में लाजवाब थी। जितनी कामयाबी इस सितारे ने अपने फिल्मी करियर में देखी। उससे कही अधिक सूनापन व अकेलापन उनकी जिंदगी में पसरा था। कहने को बॉलीवुड के इस सुपरस्टार का जीवन व जिंदगी के अंतिम क्षण तन्हाई व दर्द के नाम रहे। मौत की बाद भी उनकी संपत्ति को लेकर हुए विवाद खुलकर सामने आए। राजेश खन्ना की पहली बरसी पर मेरी कलम से इस रोमाटिंक हीरों के प्रति श्रृद्धांजलि -     राजेश खन्ना, बॉलीवुड जगत का एक चमकता सितारा। जिसके कामयाबी की बुलंदी सितारों की ऊँचाईयों को छूती थी। 1970 का दशक बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का दौर था। यह वह दौर था, जब रोमांस के इस किं

तेजाब की जलन है बाकी ...

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तेजाब की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये से मुझे बहुत खुशी हुई है। यह सुप्रीम कोर्ट की फटकार का ही असर है कि केंद्र सरकार ने तेजाब की बिक्री को नियंत्रित करने के साथ ही शर्तों में बाँधने के लिए ' प्वाइजन पजेशन एण्ड सेल्स रूल्स 2013 ' का मसौदा तैयार किया है। जिसके तहत तेजाब की बिक्री हेतु दुकानदार को लाइसेंस लेना होगा , जो कि 5 वर्ष तक के लिए मान्य होगा। इसी के साथ ही उसे सेल्स का रजिस्टर भी मेंटेन करना होगा। जिसमें उसने किस व्यक्ति को कितना और किस प्रयोजन हेतु तेजाब बेचा है। विक्रेता को तेजाब खरीदने वाले व्यक्ति का नाम , पता , टेलीफोन नंबर आदि से संबंधित जानकारी अपने सेल्स रजिस्टर में दर्ज करना होगी। विक्रेता के साथ-साथ क्रेता को भी तेजाब खरीदते समय अपना परिचय पत्र (जिसमें उसका पता दिया हो) ‍दुकानदार को दिखाना अनिवार्य होगा। इसी के साथ ही जो लोग तेजाब हमले के शिकार होते हैं , उन्हें राज्य सरकार 3 लाख रूपए का मुआवजा , पुर्नवास व इलाज का खर्च देगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा हेतु लिया गया एक ऐतिहासिक फैसला है। जिससे तेजाब हमलों में कभी आने की उम्मी

डर का अंत हो .....

हर रात के खत्म होने के बाद  अलसुबह से मन में दस्तक देता है डर  हर आहट पर चौकन्नी हो जाती है निगाहें  और करता है जिंदगी को खत्म करने का मन  होते है दुनिया में कुछ लोग ऐसे जो खेलते है खुशियों और मुस्कुराहटों से  करते हैं जिस्म के सौदे  और गुर्र्राते है अपने थोथे दावों पर  किसी को डराकर ये लेते हैं मजे      और तोड़ते है लोगों के भरोसे दर्द देने में इन्हें मजा आता है  सिसकियों में कराहती हर आह से मन इनका ललचाता है  पर कब तक .....  ....  डर, सन्नाटा और खामोशी की भी उम्र होती है  छटपटाते मन में अब हर दुआ, बददुआ बनकर रोती है  जब मच जाती है दर्द की अति से हाहाकार तब दिखाता है ईश्वर भी अपना चमत्कार  पापी को मिलती है पाप की सजा  और साथ ही सजा को भोगता है उसका पूरा परिवार। - गायत्री  

तेजाब की बौछार, मौत की बयार ....

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तेजाब , जिसकी एक बूँद भी चमड़ी का माँस का लोंदा (ढ़ेर) बनाने के लिए पर्याप्त होती है। सोचिए जब इस तेजाब की फुहार किसी लड़की के चेहरे पर दुराशय से फेंकी जाती है , तब उस लड़की के सपनों के साथ ही उसके भविष्य पर भी सदा के लिए ग्रहण लग जाता है। सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन में उलाहना के साथ ही वह लोगों की घृणा व हीन भावना का शिकार बन सदा के लिए सजा व बोझ की तरह अपने जीवन को काटती है। ऐसे अपराधों व घटनाओं में न्याय की उम्मीद तो समय व सालों के बीतने के साथ ही या तो बढ़ती या घटती नजर आती है क्योंकि हमारे यहाँ न्याय को सत्ता के रसूकदारों व पूँजीपतियों के हाथों क‍ी बपौती है। आमजन के लिए न्याय तो बस भविष्य में उम्मीदों की कोरी कल्पना ही है।         हालाँकि सालों साल में कभी कभार किसी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट भी जनता के भले के लिए कुछ ऐतिहासिक निर्णय देती है। जिससे आमजन में न्याय के प्रति मर चुका विश्वास पुन: जीवित होता नजर आता है। याचिकाकर्ता लक्ष्मी के प्रकरण में सात साल बाद एक ऐसा ही जनहितेषी निर्णय लेने की तैयारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट बाजार में ' तेजाब की खुलेआम बिक्री ' पर अकुंश लग

प्यार

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प्यार की उम्र क्या शायद एक नजर भर ... पलके मूँदते ही पल में ओझल ... महसूस करो तो सब कुछ कैद करना चाहो तो कुछ नहीं एक प्यारा सा अहसास, कभी न पूरी होने वाली अधूरी प्यास दूर रहकर भी सबसे करीब जिसे‍ ‍यह मिले ... वो कहलाता है खुसनसीब  - गायत्री