
आज हम हैवानियत के किस स्तर पर खड़े है, वह कल्पनातीत है. इंदौर शहर के मुख्य बाजार राजबाड़ा में 4 माह की दुधमुँही मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म रौंगटे खड़े कर देने वाली घटना है. आए दिन इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति और पुलिस तथा कानून व्यवस्था का लचर होना मेरे मन में कई प्रश्नों को जन्म देता है.मुझे तो यह समझ नहीं आता कि आखिर वो कौन की जिस्मानी भूख है, जो इन दरिंदों को हैवानियत के उस स्तर तक ले जाती है, जिसमें उन्हें बच्चों और बड़ों में कोई फर्क नहीं आता. इस घटना के बारे में विश्लेषण करने पर तो मुझे यही समझ आता है कि ये घटना बदले या खीझ के परिणामस्वरूप घटित हुई है क्योंकि किसी दुधमुँही बच्ची से दुष्कर्म करने का परिणाम आरोपी स्वयं ही जानता होगा. उस बच्ची को तो अपने शरीर के उन अंगों का भी बोध नहीं होगा, जो उसे लड़की या लड़का बनाते है. उसे प्यार व पशुता के बीच क्या भेद होता है, इसका भी ज्ञान नहीं था. कई दिनों से मेरे मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या अब इस देश में बेटी के रूप में पैदा होना ही गुनाह है या फिर दो माओ जितनी सुरक्षा और प्यार देने का दावा करने वाले मामा के राज्य में बेटियाँ महफूज़ ...