लो आ गयी शरारतों वाली होली

लो आ गयी शरारतों वाली होली 
पिचकारियों के छिटो संग 
दोस्तों संग मौज-मस्ती और हँसी-ठिठौली
लो आ गयी ...
किसी ने गालों पर मल दिया गुलाल 
मित्रता के चटक रंग से, मस्ती की भंग से 
तन-मन हुआ, हरा-पीला, गुलाबी-लाल 
निकली आज तंग गलियों में वही पुरानी टोली 
लो आ गयी ...
यादों के झरोखों से मस्ती के पलों को चुराया जाए 
हुड़दंगी दोस्तों की महफ़िल को फिर से सजाया जाए 
तराने दोस्ती के आज फिर गुनगुना लो यारों
मस्ती के इस समां को रंगीन बना लो यारों 
लो आ गयी ... 
भागों,पकड़ो की गूंज मची है चारों ओर
हर तरफ है आज हँसी-ठहाकों औऱ गुब्बारों की पचाक का शोर 
बच ना जाए आज कोई, लगा लो पूरा जोर 
होली की हुड़दंग में हर दिल कहे वन्स मोर, वन्स मोर 
लो आ गयी ...
                                           - गायत्री 
चित्र साभार - गूगल 

Comments

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बहादुर महिला, दंत चिकित्सक और कहानी में ट्विस्ट “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Onkar said…
बहुत बढ़िया

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