तेजाब की बौछार, मौत की बयार ....

तेजाब, जिसकी एक बूँद भी चमड़ी का माँस का लोंदा (ढ़ेर) बनाने के लिए पर्याप्त होती है। सोचिए जब इस तेजाब की फुहार किसी लड़की के चेहरे पर दुराशय से फेंकी जाती है, तब उस लड़की के सपनों के साथ ही उसके भविष्य पर भी सदा के लिए ग्रहण लग जाता है। सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन में उलाहना के साथ ही वह लोगों की घृणा व हीन भावना का शिकार बन सदा के लिए सजा व बोझ की तरह अपने जीवन को काटती है। ऐसे अपराधों व घटनाओं में न्याय की उम्मीद तो समय व सालों के बीतने के साथ ही या तो बढ़ती या घटती नजर आती है क्योंकि हमारे यहाँ न्याय को सत्ता के रसूकदारों व पूँजीपतियों के हाथों क‍ी बपौती है। आमजन के लिए न्याय तो बस भविष्य में उम्मीदों की कोरी कल्पना ही है। 
       हालाँकि सालों साल में कभी कभार किसी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट भी जनता के भले के लिए कुछ ऐतिहासिक निर्णय देती है। जिससे आमजन में न्याय के प्रति मर चुका विश्वास पुन: जीवित होता नजर आता है। याचिकाकर्ता लक्ष्मी के प्रकरण में सात साल बाद एक ऐसा ही जनहितेषी निर्णय लेने की तैयारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट बाजार में 'तेजाब की खुलेआम बिक्री' पर अकुंश लगाने की तैयारी कर रही है। सरकार को तेजाब की बिक्री के संबंध में कोई ठोस निर्णय लेने के लिए कोर्ट ने उन्हें 16 जुलाई तक का समय दिया है। यदि सरकार इस संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो सुप्रीम कोर्ट सख्त कानून बनाकर तेजाब की सर्वत्र सुलभता व खुलेआम बिक्री पर कानून बनाकर अपने इस फैसले को सख्ती से लागू कराएगी। सुप्रीम कोर्ट के कड़े रूख को देखते हुए भलाई की इस पहल में अपनी सहभागिता निभाते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने तेजाब की खुली बिक्री पर रोक लगाते हुए सजा का प्रावधान किया है। लेकिन केवल एक राज्य के तेजाब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने मात्र से कुछ नहीं होगा। देश की तस्वीर तो तब बदलेगी, जब सभी राज्य सरकारें एकमत होकर तेजाब की तबाही को रोकने के लिए इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाएगी। 

       क्या आपको भी लगता है कि तेजाब की बिक्री पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने हेतु कोर्ट को ही कोई निर्णय लेना चाहिए या राज्य सरकारों को स्वयं अपने राज्य में तेजाब की खुलेआम बिक्री पर प्रतिंबध लगा देना चाहिए? जिससे कि तेजाब से मची तबाही से अपना चेहरा, आँखे, हाथ व खूबसूरती को खोने वाली लडकियों व महिलाओं को न्याय मिल सके तथा महिलाओं पर हो रहे तेजाब हमलों पर अंकुश लग सके। कृपया अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे अवगत कराएँ।     

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