तेजाब की जलन है बाकी ...
तेजाब की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये से मुझे बहुत खुशी हुई है। यह
सुप्रीम कोर्ट की फटकार का ही असर है कि केंद्र सरकार ने तेजाब की बिक्री को
नियंत्रित करने के साथ ही शर्तों में बाँधने के लिए 'प्वाइजन पजेशन एण्ड सेल्स रूल्स 2013' का मसौदा तैयार किया है। जिसके तहत तेजाब की बिक्री
हेतु दुकानदार को लाइसेंस लेना होगा, जो कि 5 वर्ष तक के लिए मान्य होगा। इसी के साथ ही उसे सेल्स का रजिस्टर भी
मेंटेन करना होगा। जिसमें उसने किस व्यक्ति को कितना और किस प्रयोजन हेतु तेजाब
बेचा है। विक्रेता को तेजाब खरीदने वाले व्यक्ति का नाम, पता,
टेलीफोन
नंबर आदि से संबंधित जानकारी अपने सेल्स रजिस्टर में दर्ज करना होगी। विक्रेता के
साथ-साथ क्रेता को भी तेजाब खरीदते समय अपना परिचय पत्र (जिसमें उसका पता दिया हो)
दुकानदार को दिखाना अनिवार्य होगा। इसी के साथ ही जो लोग तेजाब हमले के शिकार
होते हैं, उन्हें राज्य सरकार 3
लाख रूपए का मुआवजा, पुर्नवास व इलाज का खर्च
देगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा हेतु लिया गया एक ऐतिहासिक
फैसला है। जिससे तेजाब हमलों में कभी आने की उम्मीद तो जरूर की जा सकती है।
हालांकि यह फैसला उन महिलाओं की जिंदगी और खुशियों को वापस नहीं लौटा सकता है।
जिनके बदन ने तेजाब की जलन को न सिर्फ महसूस किया गया है बल्कि उसकी पीड़ा को
सामाजिक तिरस्कार के रूप में भोगा भी है।
क्या आपको नहीं लगता है कि तेजाब की खुली बिक्री पर
अकुंश लगाने हेतु सरकार को टॉयलेट क्लीनर के तौर पर भी तेजाब का विक्रय पूर्णत:
प्रतिबंधित कर देना चाहिए क्योंकि टॉयलेट क्लीनर के नाम पर कोई भी व्यक्ति आसानी
से तेजाब खरीद सकता है। जब हमारे पास तेजाब के अलावा भी टॉयलेट क्लीनर के अन्य विकल्प
मौजूद है तो फिर तेजाब जैसा घातक द्रव्य ही क्यों? खैर जो भी हो, सुप्रीम कोर्ट ने
महिलाओं को तेजाब हमलों से पूरी तो नहीं पर कुछ हद तक संतोषजनक सुरक्षा का आश्वासन
तो प्रदान किया ही है।
आज मैं उस लड़की को दिल से सलाम करती हूँ। जिसके सात सालों के सतत संघर्ष व
हिम्मत की बदौलत सुप्रीम कोर्ट को विवश होकर तेजाब की बिक्री पर अंकुश लगाने हेतु
निर्णय लेना पड़ा है। हालांकि कोर्ट में इस मामले का अंतिम फैसला होना अभी बाकी
है।
- - गायत्री
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