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Showing posts from 2025

जगन्नाथपुरी चमत्कारों की धरा

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- डॉ. गायत्री शर्मा              संपूर्ण चराचर जगत् के नाथ, प्रजापालक, भक्तवत्सल श्री जगन्नाथजी के परम धाम की यात्रा करना अति पुण्यदायी माना गया है। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानती हूं, जो मुझे वर्ष 2025 में दो बार इस यात्रा का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जब मन में प्रभु दर्शन की इच्छा प्रबल हो, तो सारे किंतु, परंतु, लेकिन..... धरे के धरे रह जाते हैं और भक्त चुंबकीय आकर्षण शक्ति से भी अधिक तेजी से जगन्नाथपुरी की ओर खींचा चला जाता है। मेरी कल्पनाओं से परे यह यात्रा अचानक प्लान हुई और दोनों ही बार कई व्यवधानों के बावजूद मेरी यह यात्रा अविस्मरणीय अनुभवों, रोमांच व चमत्कारों की साक्षी बनी। अपनी यात्रा के अनुभवों व जनश्रुतियों के आधार पर मैंने जगन्नाथपुरी धाम की यात्रा के इच्छुक भक्तों के लिए कुछ जानकारी अपने इस लेख में प्रदान करने का प्रयास किया है।    नीलांचल निवासाय नित्याय परमात्मने। बलभद्र सुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः॥      देवता भी जहां जन्म लेने व प्रभु दर्शन पाने को तरसते है, ऐसे नीलांचल के वासी श्री बलभद्रजी, देवी सुभद्...

इंदौर की सड़क पर काल का तांडव

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- डॉ. गायत्री शर्मा  जिंदगीभर साथ की बजाय अब सुबह के बाद शाम ढ़लने तक के ही साथ की ही बात होती है, जिसकी वजह है दुर्घटनाएं। देश में दुर्घटनाओं की रफ्तार इन दिनों हमारी धड़कनों की गति से भी अधिक ज्यादा हो रही है। हर क्षण हम सभी युद्ध, अतिवृष्टि, भूकंप, दुर्घटनाओं आदि अप्रत्याशित के भय से डरे सहमें खामोश बैठे है। हर कदम, हर उड़ान पर संशय और भय व्याप्त है क्योंकि क्या पता कब, किस रूप में कभी मौत हमारा भी अकल्पनीय रूप से आलिंगन कर ले?  तेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफेद क्यों, तेरी साड़ी मेरी साड़ी से सुंदर क्यों.......इन सभी से आगे निकलते हुए कलयुगी मनुष्य अब तेरी गाड़ी मेरी गाड़ी से तेज रफ्तार में क्यों पर भी ईष्या करने लगा है और दूसरे को हराने की होड़ में मौत के कुएं में हर दिन कभी न खत्म होने वाली प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बनता जा रहा है। रफ्तार का ऐसा तांडव, जो काल बनकर कई परिवारों के रोशन चिरागों को सदा के लिए बुझा गया, इंदौर में भी देखने को मिला। इस घटना में भी सड़क के घर्षण को तेज गति से पीछे छोड़कर आगे बढ़ते ट्रक के ब्रेक, लोगों की चीख, चित्कार और रहम की पुकार क्षणभर में ही खामोश हो गई और लाश...

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना

'मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना, हिंदी है हम वतन है, हिंदोस्ता हमारा' यह गीत केवल गुनगुनाने मात्र का नहीं है। इस गीत के बोल भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को दर्शाते है। लेकिन आतंक है कि भारत की एकता को खंडित करने के नापाक़ इरादों से अपने कदम बढ़ाते ही जा रहा है।         आतंक का घिनौना रूप, जो कल पहलगाम के पास आतंकी हमले के रूप में देखने को मिला, कहीं ना कहीं यह आतंकियों की उन घटिया और निम्न स्तर की सोच को दर्शाता है, जो जाति व धर्म के नाम पर राम और रहीम को दोस्त से दुश्मन बनाना चाह रहे है। ये वो लोग है, जिन्हें विकास के पथ पर बढ़ते भारत को देख चिढ़ हो रही है। जिस तरह से खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचती है, वैसे ही देश के भीतर पलने वाले आतंकी रूपी जोक आतंक को प्रायोजित कर ख़ुश हो रहे है।          याद रखिए भारत, भूमि का टुकड़ा मात्र नहीं है, यह वो जाग्रत माँ है, जो सिंहनी के समान झपटकर अपने बच्चे की तरफ आँख उठाने वाले के प्राण हरना जानती है। आप भी इस माँ के चंडी रूप धरने से पहले अपनी हरकतों से बाज आ जाओ और वतन के गद्दार से वफादार बन जाओ। वतन के गद्दार...