इंदौर की सड़क पर काल का तांडव

- डॉ. गायत्री शर्मा 


जिंदगीभर साथ की बजाय अब सुबह के बाद शाम ढ़लने तक के ही साथ की ही बात होती है, जिसकी वजह है दुर्घटनाएं। देश में दुर्घटनाओं की रफ्तार इन दिनों हमारी धड़कनों की गति से भी अधिक ज्यादा हो रही है। हर क्षण हम सभी युद्ध, अतिवृष्टि, भूकंप, दुर्घटनाओं आदि अप्रत्याशित के भय से डरे सहमें खामोश बैठे है। हर कदम, हर उड़ान पर संशय और भय व्याप्त है क्योंकि क्या पता कब, किस रूप में कभी मौत हमारा भी अकल्पनीय रूप से आलिंगन कर ले? 

तेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफेद क्यों, तेरी साड़ी मेरी साड़ी से सुंदर क्यों.......इन सभी से आगे निकलते हुए कलयुगी मनुष्य अब तेरी गाड़ी मेरी गाड़ी से तेज रफ्तार में क्यों पर भी ईष्या करने लगा है और दूसरे को हराने की होड़ में मौत के कुएं में हर दिन कभी न खत्म होने वाली प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बनता जा रहा है। रफ्तार का ऐसा तांडव, जो काल बनकर कई परिवारों के रोशन चिरागों को सदा के लिए बुझा गया, इंदौर में भी देखने को मिला। इस घटना में भी सड़क के घर्षण को तेज गति से पीछे छोड़कर आगे बढ़ते ट्रक के ब्रेक, लोगों की चीख, चित्कार और रहम की पुकार क्षणभर में ही खामोश हो गई और लाशों पर कैमरे के फ्लशों की चमक, नेताओं के बयान और लोगों की कानाफुसी फिर से सक्रिय हो गई। कहते हैं जिंदगी और मौत का फैसला तो ईश्वर करते हैं परंतु ईश्वर के रूप में आतंक और दहशत फैलाते ऐसे दरिंदे लोग अब स्वयं को ईश्वर मानने की भूल कर बैठे है। 

वर्ष 2025 के आरंभ से ही हमारे हर दिन का आरंभ और अंत किसी हत्या, खुदखुशी, दुर्घटना और मौत की खबरों से होने लगा है। हम कहां और कैसे सुरक्षित है। यह प्रश्न अब चिंताजनक बन चुका है। तभी तो अब घर के भीतर हमें भूकंप, आसमान से गिरते विमान, बिजली या आपदा का भय बना रहता है और घर के बाहर साक्षत यमराज की तरह अंधाधुध रफ्तार से सड़कों पर रेस लगाते वाहन और हेलमेट पहनकर हॉर्न न सुनने का संकल्प लेकर घरों से निकले बाइक सवार मानों हमें अपनी गिरफ्त में लेने के लिए ही बैचेन घुमते है। 

आज दिनांक 15 सितंबर 2025 को इंदौर के एयरपोर्ट रोड पर अंधाधुंध गति से चलते एक ट्रक ने एक के बाद एक कई राहगीरों को अपनी चपेट में ले लिया। मौत के सरकस का यह लाइव दृश्य आपके लिए पढ़ने व सोचने में जितना डरावना है, उससे कई गुना ज्यादा यह दृश्य देखने में भयावह था। मांस के चिथड़ों से ढ़की सड़के और बेगुनाहों के खून की धार से धुली सड़के इस भयावह घटना की गवाही देती है कि किस तरह से उस बेकाबू ट्रक के टायर अपनी राह में आई हर इंसानी बाधा को अपने गोल पहियों के चकरों में घुमाकर अतीत बना गए। मौत का यह आकड़ा लगभग 1 दर्जन लोगों का तो रहा ही होगा परंतु अधिकारिक पुष्टि के बगैर मौत के आकड़ों की संख्या देना संभव नहीं होगा क्योंकि हर बार की तरह घटना में मतृकों के वास्तविक आकड़ों को दलगत राजनीति के चलते कम ही बताया जाएगा। 

खामोशी में गुम आवाजेंः

घटना के बाद पक्ष-विपक्ष बेफिजूल के सवालों-जवाबों में समय बर्बाद करेगा। देर-सबेर ट्रक ड्राइवर भी कानून के लचीलेपन के चलते कुछ वर्ष हवालात में बिताकर फिर से मौत का एक नया चक्रव्यूह रचेगा। इस सबसे परे फर्क उन लोगों के जीवन पर पड़ेगा, जिनके परिवार का कोई सदस्य पितृपक्ष में दिवगंत हो गया है, जिनके भावी सपने उनके अपनों के साथ ही खत्म हो चले है। किसी के सिर से मां-बाप का, किसी के सिर से भाई-बहन का, किसी के सिर से पति-पत्नी का, किसी के जीवन से अपने बच्चों का और किसी के लिए उनके सपनों में खुशियों के रंग भरने वाले मंगेतर का साया, साथ, हाथ और विश्वास इस घटना के साथ ही छूट और टूट गया होगा। घर-परिवार में गूंजने वाली वो आवाज़, व्हाट्सएप के मैसेज, स्टेटस, हंसी-ठिठौली वाक्यों से निकलकर हकीकत में वर्तमान से अतीत बन गई है। 

क्या कभी किसी ने इन घटनाओं के घटित होने के कारणों को जानकर उनका निदान करने का प्रयास किया है? शायद नहीं ....... क्योंकि हमें तो अपने परिजनों की फिक्र है, जो आज सुरक्षित है। यदि उनमें कोई हमारा अपना भी होता, तो आज गुस्साई भीड़ का हिस्सा आप और मैं भी होते। हमारी भी आंखे नम होती। यह वक्त मौन से मुखरता की ओर बढ़ने का है। यदि ऐसे सामूहिक नरसंहारों व दुर्घटनाओं पर हम मौन रहे तो इस शांत शहर की फिज़ाओं में भी नफरत, असंतोष और बदले के रंग घुल जाएंगे। 

वाहन दुर्घटनाओं के कारणः

मौत का चक्रव्यूह रचते रफ्तार के ये खेल संभवतः ट्रैफिक पुलिस की अनदेखी (भारी वाहनों के शहर की व्यस्ततम सड़कों पर प्रवेश), वाहनचालकों को गंतव्यस्थल पर समय पर पहुंचने की पाबंदी, वाहनचालकों की व्यस्न की लत, पारिवारिक व कार्यस्थल का तनाव, सोशल मीडिया व ऑनलाइन गेमिंग की लत, बदले का भाव, वाहन का ठीक से रखरखाव न होना आदि कई कारण हो सकते हैं। जिस तरह दुर्घटनाओं के पीछे कारण अनेक है, वैसे ही उनके निदान भी अलग-अलग लोगों के पास है, बशर्ते हम सभी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही प्रकार से करें। 

निष्कर्ष रूप में कहा जाए तो आज की यह घटना बड़ी निंदनीय घटना है, जिस पर पुलिस प्रशासन व सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं पर की गई कार्यवाहियों से सबक लेकर रफ्तार के दीवानों का जोश सड़कों पर प्रदर्शन से पहले ही ठंडा हो जाए और साक्षात यमराज की तरह हवा से बात करते वाहनों की बजाय सड़कों पर धीमे-धीमे रफ्तार से वाहनों के साथ ही इंसान भी चहलकदमी कर पाएं। 

चित्र साभारः गूगल

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