मेरे राम आज घर पधारे है
विरह की पीड़ा बड़ी थी लंबी
रामलला बिन मन की अवध थी सुनी
कोटिक पुण्य तेरे दरस पे वारे है
मेरे राम आज घर पधारे है
तुझ बिन राम कैसी दिवाली
अश्रुजल से बरसों जली
इंतज़ार की बाती
तुम जो आए पाषाण बने हृदयों में
जैसे प्राण पधारे है
मेरे राम आज घर पधारे है
दुनियादारी मैं न जानू,
मैं तो तेरी प्रीत ही जानू
तुझ बिन क्षण-क्षण
युग-युग से मैंने काटे है
मेरे राम आज घर पधारे है
- डॉ. गायत्री शर्मा
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