कैसी हो तुम भैंस महारानी ?
- गायत्री शर्मा
‘बाबूजी, जरा धीरे चलो, बिजली खड़ी, यहाँ बिजली खड़ी ...’ ‘दम’ की याना गुप्ता की तरह अब मंत्री जी की वीआईपी भैंसे भी दमदार ठुमके लगाकर यही गीत गा रही है। जी हाँ, आप सही सोच रहे हैं, यह वहीं यूपी है, जहाँ ससुरी भैंसन की सिक्यूरिटी में पूरा प्रशासनिक अमला लग जाता है और बेचारे आम आदमी को सुरक्षा के नाम पर ठेंगा दिखाया जाता है। यहाँ अपराधियों को पकड़ने में तो पुलिस सुस्ती दिखाती हैं पर मंत्री महोदय की गुम भैंसों को खोजने में उनकी रातों की नींद उड़ जाती है और आखिरकार कुत्तों की मदद से भैंसों को ढूँढने के बाद ही पुलिस राहत की सास लेती है। आपको क्या लगता है? ऐसा क्या है इन भैंसों में, जो इनकी अगुवाई के लिए सरकारी गाडि़याँ सायरन बजाते हुए आगे चलती है और कैटरीना कैफ सी नाजुक भैंसे हौले-हौले आरामदायक सफर का लुत्फ उठाती है। बुरा न लगे तो एक कड़वा सच कहूँ मंत्री जी! यदि आपके राज में इसी तरह भैंसे वीआईपी बनती रही तो कहीं अतिशय भैंस प्रेम के कारण जनता आपको तबेले का रास्ता न दिखा दें।
सुनने में आया है कि नेताजी को भैंसों से ईश्क हो गया है और उनकी वीआईपी भैंसों को देखकर अब दूसरे नेताओं को रश्क हो रहा है। हर कोई यह सोच रहा है कि मंत्री जी को खुश करने के लिए कहीं उन्हें भैंसों के रखरखाव की ट्रेनिंग न लेनी पड़े और जरूरत पड़ने पर इन मंत्री जी की भैंसों के साथ मंच शेयर न करना पड़े। कुछ ऐसी ही बात सुनने में आई है कि कुछ दिनों पहले मंत्री जी की भैंसों की अगुवाई करने वाले पुलिकर्मियों ने थाने में भैंसों की आवभगत में जी-जान लगा दी। किसी ने उन वीआईपी भैंस महारानियों को चारा खिलाया तो किसी ने रोटी और गुड़। यह दृश्य कुछ ऐसा था जैसे मंत्री जी की कोई प्रियतमा मजबूरीवश एक रात के लिए थाने में ठहरी हो और उनकी आवभगत में किसी भी कमी का होना पुलिसकर्मियों को मंत्री जी का कोपभाजन बना सकता हो। यहीं वजह है कि भैंसों के आगमन की सूचना मिलते ही नेता से लेकर अधिकारीगण सब सक्रिय हो गए और इन सभी ने मिलकर भैंसों की बेहतरीन खातिरदारी कर मंत्री जी को खुश करने का प्रयास किया। इससे पहले भी नेताजी की चहेती सात भैंसों के गुम होने की खबर सुनकर पुलिसकर्मियों में हडकंप मच गया था। उस वक्त तो सड़कों पर ‘भौ-भौ’ कर भैंसों को दौड़ानें वाले कुत्ते भी अपना स्वभाव भूलकर खेत-खलिहानों को सूँघ-सूँघकर बड़े ही प्यार से उन भैंसों को घर लौट आने के लिए पुकार रहे थे। हालाँकि अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि भैंसों को तबेले से भटकाकर खेत-खलियानों में सैर कराने वाली चाल विपक्ष की थी या किसी शत्रु की।
कितना अच्छा हो यदि यूपी राज्य के चुनावों में भैंसों के लिए सीट आरक्षित हो और भैंसे ‘भै, भै ...’ करके आपसे वोट माँगे। भैंसों पर अश्लील कमेंट करने पर आपको सजा मिले। ऐसा भी हो सकता है कि भैंसों की कृपा से उनके प्रिय नेताजी ही सीएम बन जाएँ फिर तो राज्य में भैंसों को अल्पसंख्यक वर्ग में आरक्षण मिल जाएगा और आपके साथ बस या ट्रेन के एसी कोच में भैंसे सफर करेगी। भैंस को ‘पशु शिरोमणी’ का दर्जा दिए जाने की पहल केवल यूपी में ही हो सकती है। जहाँ अपराधों के बढ़ते ग्राफ के कारण इंसान हर रोज जानवरों की तरह मरते हैं और जानवर की गिनती में आने वाली भैंसे आलीशान वातानुकूलित तबेलों में आराम फरमाती है।
पंजाब, हरियाणा की हरियाली को छोड़ यूपी में दस्तक देती भैंसों का भाग्य आज अपने भैंस होने पर इठला रहा होगा और वह बार-बार ईश्वर से यह दुआ कर रही होगी कि दाता, अगले जनम मोहे भैंस ही किजो। यदि तू हमें भैंस बनइयों तो खान साहब के घर की भैंस बनईयो ताकि हमरी जवानी पर बुरी नजर डालने वालों की आँखे ही फूट जाएँ। सच कहूँ तो यह हमारे बड़बोले मंत्री साहब का उदार दिल ही है, जो भैंसों को भी मंत्रियों के समान वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। वर्ना दूसरे राज्यों की भैंसे तो बेचारी लकड़ी की मार सह-सहकर बूढ़ी हो जाती है। उनकी किस्मत में नीली, पीली बत्तियों की गाड़ी की अगुवाई तो दूर, इन गाड़ी के नीचे आकर जान देना भी नसीब नहीं होता है।
अंत में चलते-चलते मैं इन खुशनसीब भैंसों को नमन करती हूँ और ईश्वर से दुआ करती हूँ कि किसी दिन मुझे भी इन मोहिनी भैंसों के दर्शन लाभ का सौभाग्य दिलाना ताकि मेरा भी भाग्य सँवर जाएँ और मैं भी मंत्री जी की मेहरबानी से सरकारी नौकरी पाने वाले खुशनसीबों की श्रेणी में शामिल हो जाऊँ। हे भैंस महारानी, हम सब पर कृपा करो। मंत्री जी से कहकर देश में दूध के बढ़ते दाम को गिराओं और देश को गरीबी व मँहगाई से मुक्त कराओ। प्यारी भैंस, आप अपने नेताजी को सींग मारते हुए जनता की ओर से यह नसीहत भी देना कि आम जनता उन्हें वोट देती है न कि कोई भैंस महारानी। इसलिए वे आपकी फिक्र छोड़ते हुए अपने वोटरों की फिक्र करें। कहीं ऐसा न हो कि अगले चुनाव में वोटर उन्हें ठेंगा दिखा दे और उन्हें परमानेंटली आपकी सेवा-चाकरी में लगना पड़ें।
सूचना : कृपया इस ब्लॉग से किसी भी सामग्री का प्रयोग करते समय साभार देना व सूचनार्थ मेल प्रेषित करना न भूलें। मेरे इस लेख का प्रकाशन रतलाम सेे प्रकाशित होने वाले दैनिक 'सिंघम टाइम्स' अखबार और हिंदी सटायर' पोर्टल के दिनांक 26 अगस्त 2014 के अंक में प्रकाशित हुआ है।
http://hindisatire.com/?p=1448
http://singhamtimes.com/?p=2341
उत्तरप्रदेश के
प्रमुख अखबार ‘जनसंदेश टाइम्स’ के दिनांक 27 अगस्त 2014, बुधवार के अंक में ‘कैसी हो
तुम भैंस महारानी’ शीर्षक से प्रकाशित मेरा व्यंग्य।
http://www.jansandeshtimes.in/index.php?spgmGal=Uttar_Pradesh/Varanasi/Varanasi/27-08-2014&spgmPic=9
उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड के प्रमुख अखबार दैनिक ‘जनवाणी’ के 27 अगस्त 2014,
बुधवार के अंक में ‘अगले जनम मोहे भैंस ही किजो’ शीर्षक से प्रकाशित मेरा व्यंग्य
लेख।
‘खरी न्यूज डॉट कॉम’
पोर्टल के 27 अगस्त 2014, बुधवार के अंक में प्रकाशित यूपी की भैंसों पर केंद्रित मेरा
व्यंग्य लेख
मेरा चुनाव चिन्ह भैंस ही होगा 1 अच्छा व्यंग 1
ReplyDeletebadhiya vyangy.. maarak!
ReplyDeleteनिर्मला जी,मेरे व्यंग्य पर प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। यदि भैंस आपका चुनाव चिन्ह रहीं तो निश्चित तौर पर विजयश्री आपकी ही होगी बशर्ते आपके प्रतिद्वंदी का चुनाव चिन्ह चारा न हो वर्ना भैंस भटककर चारे की ओर चली जाऐगी।
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया अरूण जी।
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