विश्वास को बाँधती रेशम की डोर ...
- - गायत्री शर्मा
यहाँ रिश्तों का नहीं बल्कि भावों का मोल है। भाई और बहन के स्नेहिल रिश्तें
में भाव ही तो अनमोल होते हैं। रक्षाबंधन के दिन भाई की कलाई पर बँधने वाली रेशम
की फिसलन भरी डोर भी भावों की गाँठों से इतनी अधिक मजबूत हो जाती है कि उसकी हर एक
गाँठ भाई-बहन को जन्म-जन्मांतर के अटूट बँधन से बाँध देती है। अपनी लाडली बहन पर
दुनियाभर का प्यार लुटाने वाला भाई आज फिर रक्षाबंधन के बहाने अपनी बहन की रक्षा
के संकल्प को दुहराता है और शुरूआत करता है उस मधुर रिश्तें की, जिसमें प्रेम है,
विश्वास है, पवित्रता है और उससे भी कहीं ज्यादा सुरक्षा का अहसास है।
हमारे यहाँ त्योंहार की फेहरिस्त बड़ी लंबी है पर उन सभी त्योंहारों को मनाने
का मकसद अमूमन एक ही होता है और वह होता हैं – समाज में प्रेम, विश्वास, भाईचारा
और रिश्तों की पवित्रता को बरकरार बनाएँ रखने का। इस आपाधापी भरी जिंदगी में यूँ
तो हमें फुरसत नहीं है दुनियादारी के रिश्तों को निभाने की, पर ‘रक्षाबंधन’ एक ऐसा
त्योंहार है, जिसमें हमारे पास दूरियों और व्यस्तताओं का बहाना नहीं होता। भाई की
एक प्यार भरी पुकार पर उसकी बहन मीलों की दूरियाँ तय कर भाई को अपने करीब होने का
अहसास कराने आ ही जाती है। बात-बात पर भाई की बलाईयाँ लेने वाली बहन की सफर की
सारी थकान भाई के दीदार से मिलने वाली खुशी के आगे गौण हो जाती है। तभी तो बाबुल
के अँगना में चिडि़याँ सी चहकने वाली चंचल बहना रेशम की डोर व खुशियों की मिठास के
साथ भाई के दरवाजे पर दस्तक देती हैं और भाई भी बहन के आगे शीश नवाकर और उसके माथे
पर अपना स्नेहिल स्पर्श देकर प्रीत के इस बँधन के आगे नतमस्तक हो जाता है। यही है
प्रेम का सजदा, जिसमें भावों का कोई रंग नहीं है। यहाँ जात-पात और ऊँच-नीच का कोई
बँधन नहीं है। कलाई की नब्ज़ से सीधे दिल को छूने वाले अटूट रिश्तों की नाड़ी को
कसकर बाँधने वाली बहन की राखी कलाई से छूट जाने पर भी अपने पवित्र भावों के बँधन
से भाई को सदा के लिए बाँध जाती है। यह रिश्तों में प्रीत की गर्माहट ही है, जो
भाई-बहन के दिलों में मीठी यादों की धड़कन बन धड़कती है।
रिश्तों में प्रेम और विश्वास ही इस त्योंहार को मनाने का मुख्य मकसद है फिर
चाहें वह जन्मजात रिश्तें हो या प्रेमवश बनाऐँ गए रिश्तें। आप और हम इस मकसद में
कितने कामयाब हुए है। यह तो हम बखूबी जानते हैं। याद रखिएँ रिश्ता कैसा भी हो
हममें उसको निभाने की शिद्दत और ईमानदारी का होना बेहद जरूरी है। तभी तो ऐसे मधुर
रिश्तें याद करने मात्र से ही हमारे होठों पर मुस्कुराहट छेड़ देते हैं, स्मृतियों
में कैद मीठी यादों की पोटली खोल देते हैं और हमें फक्र से यह कहने पर मजबूर कर
देते हैं कि हम भाई-बहन का रिश्ता दुनिया के हर रिश्तें से खूबसूरत और दोस्ताना
है। आप सभी को रक्षाबंधन की अनेकानेक शुभकामनाओं के साथ हर बहन के लिए यहीं संदेश
कि इस बार आप अपनी भाईं की कलाई पर विश्वास की मजबूत गाँठ बाँधना मत भूलना।
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नोट : इस ब्लॉग से किसी भी सामग्री का प्रयोग करते समं सूचनार्थ मेल भेजना व साभार देना न भूलें। मेरे इस लेख का प्रकाशन 'खरी न्यूज डॉट कॉम' पोर्टल व 'गुड़गांव टूडे' अखबार के दिनांक 10 अगस्त 2014, रविवार के अंक में हुआ है।
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