16 सिंतबर 2010 का नईदुनिया 'युवा'
प्रति गुरूवार सुबह-सुबह आपके घर आकर दस्तक देना और आपके साथ गरमा-गरम चाय पीना मुझे बड़ा अच्छा लगता है। पर क्या यह सोच दुखी भी होती हूँ और खुश भी कि मेरी जगह मेरी कलम आपसे मेरी पहचान कराती है और आपकी अच्छी बुरी प्रतिक्रियाओं को मेरे दफ्तर लेकर आती है।
आप सभी पाठक ही मेरी कलम की ताकत है। जो लिखने की मेरी ऊर्जा को बढ़ाते हैं। यदि युवा का जिक्र निकला ही है तो क्यों न पढ़ ली जाए 16 सितंबर 2010 नईदुनिया युवा में प्रकाशित मेरी स्टोरियाँ। एक ओर बात कि मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।
- गायत्री शर्मा
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