दो विकल्प

- डॉ. गायत्री 

उसे चाहिए खुला आसमान

मत करो उसे पिंजरों में कैद

वो सुंदर है पर आपकी सोच बदसूरत है

उसे आसमान की और आपको पिंजरे की जरूरत है




परिंदों को चाहिए खुला आसमान

भरने दो उन्हें ऊंची-ऊंची उड़ान

सोने के जो पिंजरे आपको है भाते

नन्हें परिंदे को वो जरा न सुहाते 


आप उसे पिंजरे में देख मुस्कुराते हो

वो आपको बाहर देख घबराता है

अपनी चाह की चाहत में 

इंसान परिंदे की चाहत भूले जाता है 


अपनी बेबसी पर परिंदा हर दिन आंसू बहाता है

क्या दोष था उसका यह उसे समझ नहीं आता 

जन्म बस में गर होता तो कभी पंछी न बनना चाहता

आज मांगता है वो आपसे मौत या आजादी 


जंजीरों में जिंदगी की जंग अब उससे नहीं लड़ी जाती

कर दो मुक्त उसे जंजीरों से या जीवन से 

दोनों विकल्पों में उसकी खुशी समाई है

जिंदगी फिर आपके द्वारे दो विकल्प लेकर आई हैैै। 

चित्र साभार: गूगल 


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