मोदी पर केंद्रित मेरी कविता
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित मेरी कविता आप जरूर पढ़े अ अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे अवगत कराएँ। मेरी यह कविता उज्जैन से प्रकाशित सांध्य दैनिक अखबार 'अक्षरवार्ता' में भी दिनांक 29 मई 2014 को परकाशित हुई है। -
नमो-नमो छा गया
गर्जना प्रचंड है
हौंसले बुलंद है
देखकर अंचभ है
ये कौन सत्ता के सूने
गलियारों को गूँजा गया?
नमो-नमो छा गया
सिंह सी दहाड़ कर
शत्रुओं पे वार कर
भ्रष्ट पर प्रहार कर
ये कौन गाँधियों को
आईना दिखा के रूला गया?
नमो-नमो छा गया
विकास का अस्त्र लिए
सुनितीयों का शस्त्र लिए
सुप्त जनादेश को पल में जगा गया
ये कौन माँ का लाल आज
विकास का अग्रदूत बने आ गया?
नमो-नमो छा गया
हर कोई अंचभित है
विपक्ष दिग्भ्रमित है
कभी न सोचा वो कहर बरपा गया
ये कौन 16 जून को
देश का गौरव पर्व बनाकर छा गया?
नमो-नमो छा गया
चला पड़ा था वह अकेला
बढ़ता गया सर्मथकों का रैला
उसने जो ठाना, वो पा गया
ये कौन आकर हमें आज
झूठें स्वप्न से जगा गया?
नमो-नमो छा गया
किसी ने कहाँ छोटा है
उसने दिखाया वह बड़ा है
छोटे काम को भी वह बड़ा काम बना गया
ये कौन दूधमुँहे बच्चे को आज
चाय का स्वाद चखा गया ?
नमो-नमो छा गया
देखों, आज माँ भारती
भगवा में इठला रही
खुशी के गीत गा रही
ये कौन झाँडू और पंजे पर भी
कमल खिलाकर आ गया?
नमो-नमो छा गया
- - गायत्री
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