तरूण तेजपाल के ‘तहलका’ में मचा तहलका

उप शीर्षक : न उठाओं ऊँगली किसी पर ....

‘कहते हैं जब हम किसी की ओर एक ऊँगली उठाते हैं तो तीन ऊँगलियाँ हमारी ओर भी उठती है।‘ लगातार कई बड़े सनसनीखेज खुलासों से पत्रकारिता जगत में तहलका मचाने वाली ‘तहलका’ मैंग्जीन की संपादकीय टीम में भी अब तहलका मच गया है। स्टिंग ऑपरेशन के जरिए सुर्खियों में छाने वाले ‘तहलका’ के पत्रकार अब स्वयं सुर्खियाँ बन चुके हैं।
        12, लिंक रोड पर अब सन्नाटा पसरा है। पिछले कुछ दिनों से इस घर के अंदर-बाहर पुलिस के आला अफसरों व पत्रकारों की चहलकदमी जल्द ही इस सन्नाटे को चीरकर कोई बड़ा खुलासा होने की ओर ईशारा कर रही है। देश का एक महान खोजी पत्रकार विरूद्ध तहलका की एक पत्रकार, आरोप- यौन शोषण का गंभीर आरोप, सबूत-होटल का सीसीटीवी फुटेज और तेजपाल का मेल के माध्यम से अपना जुर्म कबूलना। इस मामले पर महिला पत्रकार के गंभीर आरोप, हर तरफ से महिला के सर्मथन में उठते तेज स्वर और पुलिस का सख्त रवैया क्या तरूण तेजपाल के करियर के चमकते सितारों के अस्ताचल की ओर बढ़ने का संकेत है या फिर कोई तयशुदा साजिश?     
       देश में खोजी पत्रकारिता को नया आयाम, नई पहचान प्रदान करने वाले ‘तहलका’ के मशहूर पत्रकार तरूण तेजपाल ने कई बड़े घोटालों और मामलों को उजगार कर पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना एक आदर्श स्थापित किया। नवोदित पत्रकारों के लिए खोजी पत्रकारिता के गुरू कहलाने वाले तरूण तेजपाल के चमकते करियर में अचानक ऐसा क्या हुआ कि पत्रकारिता जगत में शान से सबके सामने आने वाला यह चमचमाता चेहरा आज अपना चेहरा छुपाते फिर रहा है? आखिर कैसे घोटालों के दामन से दागदार नेताओं के खुलासे करने वाले इस पत्रकार का दामन ही ‘यौन उत्पीड़न’ की कालिमा से रंग गया? देश के प्रबुद्ध जन की ओर से लगातार उठते ये प्रश्न आज कई अटकलों और बयानबाजियों को हवाएँ दे रहे हैं। तेजपाल पर उठते सवाल दर सवालों का यह दौर तब तक बदस्तूर जारी रहेगा। जब तक कि तेजपाल स्वयं जनता के सामने आकर अपना पक्ष प्रस्तुत न करे।

तरूण तेजपाल का परिचय :
19 मार्च 1963 में जन्में तरूण तेजपाल पेशे से एक पत्रकार है। इंडिया टूडे, इंडियन एक्सप्रेस, आउटलुक आदि प्रतिष्ठित संस्थानों में पत्रकारिता के धमाकेदार कीर्तिमान स्थापित करने के बाद ‘तहलका’ से तरूण तेजपाल ने अपनी एक अलग पहचान बनाई। वर्ष 2001 में तेजपाल पहली बार तब सुर्खियों में आएँ। जब उन्होंने सेना के अफसरों और नेताओं के बीच हथियारों की खरीद-फरोख्त में घूस लेने संबंधी वीडियों टेप जारी किए। उसके बाद गुजरात दंगों में किए गए तेजपाल के स्टिंग ऑपरेशन ने पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें निर्भीक पत्रकार के रूप में एक सम्माननीय मुकाम पर पहुँचाया। स्टिंग ऑपरेशन व सनसनीखेज खुलासों के कारण नेताओं और अफसरों की नींद उड़ाने वाले इस पत्रकार को ‘एशियावीक’ ने विश्व के श्रेष्ठ 50 कम्यूनिकेटरों में शामिल किया। वर्ष 2009 में ‘बिजनेसवीक’ ने तेजपाल को भारत के 50 शक्तिशाली लोगों की सूची में शामिल किया।

यौन शोषण में फँसे तेजपाल :
‘पहले मजा फिर सजा’ की तर्ज पर तेजपाल का लड़की को देख बहकना, फिसलना और देख मचलना उनके लिए मुसीबत का सबब बन जीवनभर की सजा बन गया है। 7 और 8 नवंबर 2013 को तहलका के ‘थिंक फेस्ट’ के दौरान गोवा के फाइव स्टार रिसोर्ट ‘ग्रांड हयात’ में अपनी सहकर्मी पत्रकार के साथ किया गया ‘यौन उत्पीड़न’ तेजपाल के उजले दामन को सदा के लिए बदनामी की कालिमा से दागदार कर गया। एक प्रतिष्ठित पत्रकार पर ‘यौन उत्पीड़न’ का गंभीर आरोप लगना, इस घटना के तुरंत बाद ई मेल के माध्यम से तेजपाल का माफी माँगना और अपनी सजा स्वयं तय करते हुए 6 माह के लिए ‘तहलका’ के ‘एडिटर इन चीफ’ के पद से इस्तीफा देकर अज्ञातवास में चले जाना कई अनुत्तरित सवालों और अफवाहों को जन्म दे रहा है।
इस पूरे मामले के तूल पकड़ने के बाद भी ‘तहलका’ की मैनेजिंग डायरेक्टर (जो कल तक बेबाक रूप से सार्वजनिक मंचों पर महिलाओं की सुरक्षा के पक्ष में अपनी आवाज उठाती आई है) उस शोमा चौधरी का चुप्पी साधे बैठे रहना, फिर कार्यवाही के नाम पर यह कहना कि तेजपाल का तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा देना ही उस महिला पत्रकार को मिलने वाली तुरंत राहत है। परोक्ष रूप से तेजपाल के बचाव में शोमा का सामने आकर मामले को दबाने की कोशिश करना इस मामले को एक प्री प्लान्ड फिल्मी ड्रामा बनाता है। जिसकी स्क्रिप्ट पहले से तय है और लगता है कि कुछ समय बाद इस स्क्रिप्ट का अंत भी उस महिला के ‘यौन उत्पीड़न’ के प्रकरण को वापस लेने, मामले को आपस में सुलझाने व तेजपाल की रिहाई से होगा।

मामले पर प्रतिक्रियाएँ :
इस पूरे मामले पर राजनीतिक दबाव आने से पुलिस भी सक्रिय हो चुकी है और वह जल्द से जल्द इस मामले की पूरी तफ्तीश करने में लगी हुई है। ‘तहलका’ के कागजी रिकार्डों के साथ ही इस दफ्तर के कम्प्यूटरों, लैपटॉप व ई मेल पर भी क्राइम ब्रांच अपनी पैनी निगाह लगाएँ बैठी है ताकि मामले से संबंधी कोई अहम अहम सबूत मिल सके। अपनी मैग्जीन के पत्रकार तरूण तेजपाल के यौन उत्पीड़न के मामले में फँसने के बाद महिला शोषण के मामलों पर कड़े शब्द बोलने वाली शोमा चौधरी के सुर अचानक नर्म पड़ गए है। यहीं वजह है कि किरण बेदी ने शोमा की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए ईशारे-ईशारे में यह कह दिया कि इस मामले पर कड़ा एक्शन न लेना शोमा को यह शोभा नहीं देता। उन्हें इस मामले पर कार्यवाही करने के लिए आगे आना चाहिए।
      वहीं राजनीतिज्ञ शरद यादव ने तेजपाल के अपराध को आसाराम के गुनाह के समान घृणित कृत्य मानते हुए उन्हें जेल में डालने की बात कहीं है। न केवल शरद यादव बल्कि भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी व महिला आयोग भी इस पूरे मामले की निष्पक्षता से जाँच करने की व पीडि़ता को न्याय दिलाने की माँग का सर्मथन कर रहे हैं। सीपीएम नेता वृंदा करात के अनुसार यदि अपराध करने वाले स्वयं अपनी सजा तय करने लगेंगे तो हमारे देश के कानून का क्या होगा? अरूण जेटली की मानें तो सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार पुलिस की तफ्तीश के साथ ही ‘तहलका’ को भी कमीटी बनाकर इस पूरे मामले की इन हाउस जाँच करानी चाहिए और ये दोनों कार्यवाहियाँ एक साथ चलनी चाहिए।         
     इस प्रकरण में अगला मोड़ क्या आएगा। यह कहना मुश्किल है क्योंकि दूर जाकर ही सही पर कहीं न कहीं पत्रकारिता व राजनीति का छोर एक-दूसरे से जुड़ा है। अत: दबाव के चलते या तो यह मामला धीरे-धीरे तफ्तीश के नाम पर गुमनामी के ठंडे बस्ते में गुम होता जाएगा या फिर दोषी को सजा मिलने तक पीडि़ता के बुलंद स्वर न्याय की आस में मुखरित होते रहेंगे। खैर जो भी हो, इस मामले की गहनता से पूरी तफ्तीश होनी चाहिए ताकि सच सबके सामने आ सके और पत्रकारिता व देश के कानून का दामन सदा के लिए दागदार होने से बच जाएँ।

-          गायत्री 

Comments

  1. मुझे लगता है शोमा को यह पहले से पता रहा होगा। 12 या 13 दिनों के बाद इस मामले का इस तरह बाहर आना मुझे कुछ हज़म नहीं हुआ। अब ये मसला पूरी तरह राजनीति में रंग कर ऐसा हो जाएगा कि हम आप पहचान नहीं पाएँगे कौन सा किरदार क्या गुल खिला रहा था। खैर, आप जारी रखिये विश्लेषण और इसमें खोज का आयाम भी डालिए। हम पढ़ रहे हैं।

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  2. मिस्टर जय, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपके विचारों से मैं पूर्णतया सहमत हूँ। कहीं न कहीं इस मामलों को राजनीति का तड़का देकर मसालेदार बनाने की कोशिश की जा रही है। यौन शोषण के बाद इतने दिनों तक लड़की का खामोश रहना और एफआईआर दर्ज न करना, तरूण तेजपाल का ई मेल के माध्यम से अपनी करतूत की माफी माँगना और फिर बाद में अपने अगले ही मेल में पीडि़त लड़की पर स्वयं(तेजपाल) को फँसाने का आरोप लगाना इस मामले को हर दिन एक नया मोड़ देकर उलझा रहा है।

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  3. आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया मिस्टर चौधरी।

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