म.प्र. विधानसभा सचनाव 2013 – मुद्दे, वादें और हकीकत भाग -3
उपशीर्षक : चेतना से पूर्ण चेतन्य की चर्चा
धक-धक, धक-धक, धक-धक .... 2013 के विधानसभा चुनाव में अपनी
किस्मत आजमाने वाले उम्मीद्वारों के साथ ही शहर के आमजन के दिलों की धड़कने भी अब
तेज होने लगी है। जहाँ चुनावी मैदान में उतरे उम्मीद्वार अपनी जीत की जुगाड़ में लगे हुए है तो वहीं हम अपने व अपने शहर के भविष्य का अहम फैसला लेने के लिए सोच-विचार में लगे हैं। हर कोई अपने-अपने काम में व्यस्त है। नेताजी अपने वादों से जनता को लुभाने में और जनता कभी सामने न आने वाले नेताजी पर भाव खाने में लगी है। सच कहें तो पिछले कई दिनों से शहर के हर गली-मुहल्ले में लगातार सुनाई देने वाले चुनावी प्रचार के गीतों को सुनकर हमारे कान और चुनाव की खबरें पढ़कर हमारी आँखे ऊब चुकी है। बस अब हम सभी को बेसब्री से इंतजार है 25 नवंबर का। जब हम अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार समाप्ति की घोषणा होने में अब कुछ ही घंटे शेष है ये कुछ घंटे ही प्रत्यक्ष रूप से हमारे
शहर के विकास व परोक्ष रूप से हमारे देश के भविष्य को निर्धारित करने में अपनी एक
अहम भूमिका निभाएँगे। तो क्यों न अपने बहुमल्य मत का प्रयोग करने से पहले हम अपने
शहर के विधायक पद के उम्मीद्वारों की प्रोफाइल पर एक नजर डाल ले ताकि हमारे सामने
उनकी कर्मठता और अनुभवों की पूरी पिक्चर क्लीयर हो सके।
रतलाम शहर में विधानसभा चुनाव में भाजपा से चेतन्य काश्यप,
कांग्रेस से अदिति दवेसर और निर्दलीय उम्मीद्वार पारस सकलेचा ‘दादा’ के रूप में तगड़ा
त्रिकोणीय मुकाबला है। इन तीनों के अलावा अन्य दलों के व निर्दलीय के रूप में बहुत
उम्मीद्वार भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पर सही माइनों में रतलाम
शहर में काँटे की टक्कर कमल, पँजे और टेलीफोन के बीच में ही है। जब इस चुनावी
कुश्ती के मुख्य खिलाड़ी तीन ही है तो क्यों न रतलाम की गलियों में गूँजने वाली
कमल की काबीलियत, पँजे की ताकत व टेलीफोन की ट्रिंग ट्रिंग की गड़गड़ाहट की असल
हकीकत से रूबरू हुआ जाएँ और यह जाना जाएँ कि आखिर इनमें से किसमें कितना दम है।
किसके पास उपलब्धियाँ, अनुभव और शहर के विकास का सपना सच करने का दम-खम है और
किसके पास केवल ब्रांड नेम का टैग।
नेताओं से परिचय की इस कड़ी की हम शुरूआत करते हैं भाजपा से
विधायक पद के उम्मीद्वार चेतन्य काश्यप से और जानते हैं उनके बारे में कुछ
महत्वपूर्ण बाते –
नाम : चैतन्य कुमार काश्यप
प्रचलित नाम : भैया जी
पिता : श्री अशोक कुमार जी काश्यप
जन्मतिथि : 16 जनवरी 1959
शिक्षा : बीकॉम सैकंड ईयर
Ø
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ :
Ø
राजनीति के क्षेत्र में -
·
वर्ष 2004 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा
अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भाजपा के रचनात्मक कार्य एवं स्वयंसेवी संगठन प्रकोष्ठ के
राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व ग्रहण किया।
·
वर्ष 2006 में लालकृष्ण आडवानी की ‘भारत सुरक्षा
यात्रा’ और ‘जन चेतना यात्रा’ में मीडिया सलाहकार।
·
वर्ष 2008 में म.प्र. विधानसभा चुनाव में प्रवास
प्रभारी।
·
वर्तमान
में म.प्र. भाजपा के कोषाध्यक्ष।
Ø
व्यक्तिगत व सामाजिक उल्लेखनीय उपलब्धियाँ –
·
1988 में म.प्र. के धार जिले के बदनावर में सॉर्बिटाल
का उत्पादन करने वाले उद्योग काश्यप स्वीटनर्स लिमिटेड स्थापना की।
·
1991 से काश्यप रोटरी नेत्र बैंक के माध्यम से
कई अँधेरी आँखों में रोशनी की नई उम्मीद जगाई।
·
1992 से ‘चेतना हिन्दी दैनिक’ का निरन्तर
प्रकाशन।
·
इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) और इंडियन
लैंग्वेज न्यूजपेपर एसोसिएशन (इलना) में सक्रिय।
·
1995 में ‘चेतना खेल मेला’ की शुरूआत कर अंतरविद्यालयीन
खेल र्स्पधाओं को नई पहचान दी। प्रतिवर्ष रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों के 15 से
अधिक स्थानों पर चेतना खेल मेले का आयोजन किया जाता है।
·
वर्ष 2005 में ‘अंहिसा ग्राम’ की स्थापना कर 100
गरीब परिवारों को रहने के लिए घर व आजीविका हेतु रोजगार के उन्नत साधन उपलब्ध
कराएँ।
·
बदनावर में सीबीएससी से संबद्धता प्राप्त
‘काश्यप विद्यापीठ’ स्कूल की स्थापना।
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‘अखिल भारतीय त्रिस्तुतिक जैन श्वेताम्बर श्री
संघ’ के राष्ट्रीय परामर्शदाता।
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चैतन्य जी ही क्यों? :
कहते हैं कि कुछ लोगों के नाम बोलते हैं और कुछ के काम।
यहाँ तो नाम और काम दोनों ही इनकी पहचान है। पत्रकारिता व समाजसेवा के माध्यम से
जन-जन से सरोकार रखने वाले चैतन्य काश्यप का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष का जिम्मेदारीपूर्ण पद, जन्मस्थली व कर्मक्षेत्र के
रूप में रतलाम से काश्यप जी का लगाव व समाजसेवा व मीडिया से उनका जुड़ाव ही जनता
के वोट को उनकी झोली में डालने के लिए काफी है।
Ø
फैसला हमें लेना है :
यह तो हुई रतलाम शहरी क्षेत्र से विधायक पद के उम्मीद्वार
चैतन्य काश्यप की उपलब्धियों की कहानी। हमें किस उम्मीद्वार को और क्यों चुनना है।
शायद इसका फैसला हम पहले ही कर चुके हैं। बस अब इंतजार है तो अपने फैसले पर ईवीएम
के माध्यम से मुहर लगाने का।
हमें किसे चुनना है और क्यों? हमारा यह फैसला बदल भी सकता है।
बशर्ते हम मत देने से पहले सच्चाई से अवगत हो और सोच-समझकर अपने मताधिकार का
प्रयोग करे।
याद रखें कि हमारे मत न देने से उम्मीद्वारों का बुरा-भला नहीं होगा
बल्कि इसका खामियाजा पिछड़ापन, बेरोजगारी और मँहगाई आदि के रूप में कहीं न कहीं हमें
ही भुगतना पड़ेगा। इसलिए मेरी बात पर गौर करे और सब काम छोड़कर मतदान करने जाएँ।
जल्द ही मैं आपको रतलाम शहर से विधायक पद के अन्य
उम्मीद्वारों की प्रोफाइल से भी अवगत कराऊँगी। लेकिन उससे पहले कृपया अपनी
प्रतिक्रियाएँ देकर मुझे अनुगृहित करे।
- - गायत्री
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आपके अमूल्य सुझावों एवं विचारों का स्वागत है। कृपया अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे अवगत कराएँ।