कल आई थी बूँदे ...

 मैंने बूँदों को देखा था
रोशनी के साबुन से
नहाते हुए
हवा के तौलिये से
बदन सुखाते हुए
बूँदों का मादक यौवन
तब शबाब पर आता था
जब भौंर का सूरज
उन्हें मखमली रोशनी का
आईना दिखाता था
टिप-टिप की पायल पहनी बूँदे
कल आई थी मेरे बागीचे में
बिखर गई थी खुशियाँ चहुँओर
बूँदों की बारात के ठहरने पर  
पत्तों ने बूंदों के लिए
मखमली बिछौना सजाया
घास के तिनकों ने उन्हें 
अपने सिर माथे पर बैठाया   
पर बूँदे तो परदेशी थी
क्षणिक मिलन को आई थी
ठहरना उसे कहाँ आता था
कुछ पल के बाद
भूमि से आलिंगन कर
उसे तो भूमि के गर्भ में ही
समाना था
चंचल बूँदे टिप-टिप करती आई थी

और बहुत खामोशी से चली गई
छोड़ गई कुछ मीठी यादें
जो बरखा की झडि़यों संग
फिर ताजा हो जाती है
बूँदे हर बार
टिप-टिप कर आती है
और खामोशी से
दबे पाँव चली जाती है ..। 
   गायत्री शर्मा

नोट : मेरी इस कविता का प्रकाशन उज्जैन, मध्यप्रदेश से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र ‘अक्षरवार्ता’ व ‘खरी न्यूज डॉट कॉम’ पोर्टल के 24 जुलाई 2014, गुरूवार के अंक में हुआ है। कृपया इस ब्लॉग से किसी भी सामग्री का उपयोग या प्रकाशन करते समय मुझे सूचनार्थ मेल प्रेषित करना व साभार देना न भूलें। 
http://kharinews.com/news/literature-news/%E0%A4%95%E0%A4%B2-%E0%A4%86%E0%A4%88-%E0%A4%A5%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%81%E0%A4%A6%E0%A5%87/




Comments

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज रविवार’ २७ जुलाई २०१४ की बुलेटिन -- कहाँ खो गया सुकून– ब्लॉग बुलेटिन -- में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार!

    ReplyDelete
  2. मेरी कविता के प्रकाशन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार सेंगर जी।

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत ब्लॉग मिल गया, ढूँढने निकले थे। अब तो आते जाते रहेंगे।

    ReplyDelete
  4. कहते हैं ना ढूँढ़ने से खुदा मिल जाता है, ये ब्लॉग क्या चीज है। आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है संजय जी। इस ब्लॉग पर आते-जाते रहिएँ। आपको बहुत कुछ अच्छा पढ़ने को मिलेगा।

    ReplyDelete
    Replies
    1. संजय सिहAugust 17, 2014 at 9:49 PM

      बूँद और जीवन एक समान है, अच्छी कविता के लिए धन्यवाद।

      Delete

Post a Comment

आपके अमूल्य सुझावों एवं विचारों का स्वागत है। कृपया अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे अवगत कराएँ।

Popular posts from this blog

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना

महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में ब्लॉगरों का जमावड़ा

‘संजा’ के रूप में सजते हैं सपने