तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतजार है ...
कुछ गीत ऐसे होते
हैं, जिन्हें हम कभी भी, कही भी, किसी के भी साथ गुनगुनाने लगते हैं लेकिन इसके
उलट कुछ गीत ऐसे होते हैं, जिन्हें गुनगुनाने के लिए हम और हमारी तन्हाई का साथ ही
काफी होता है। लफ्ज़ों के अधरों से फिसलकर दिल में प्रेमिल भावनाओं की जलतरंग
छेड़ने वाला संगीत हेमन्त कुमार का हैं, जिनके मधुर संगीत से सजे गीतों के अल्फाज़
कानों में पड़ते ही बसबस हमारे होंठ इन गीतों को गुनगुनाने लगते हैं, हम अपनी
मस्ती में झूमने लगते है और खो जाते हैं अपने प्रियतम की यादों में। आनंदमठ,
अनुपमा, साहिब, बीबी और गुलाम जैसी कई फिल्मों को अपने संगीत से सजाने वाले हेमन्त
दा संगीतकार के साथ ही एक बेहतरीन गायक भी थे।
हम बात कर रहे हैं
हेमन्त कुमार यानि कि हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय की। 16 जून 1920 से शुरू हुआ मौसिकी के इस बादशाह का सफर 26 सितंबर 1989 को खत्म हो गया। जीवन के इन 69 वर्षों
में हेमन्त कुमार ने अपने रूहानी संगीत व गीतों के सुरूर से प्रेमियों को सरोबार
कर दिया। हेमन्त दा की गायकी में जहाँ प्रेम की मिठास का जादू देखने को मिलता है,
वहीं उनके दर्द भरे गीतों में विरह की तीखी चुभन का भी अहसास होता है। उनकी खनकती
आवाज से सजे गीतों को सुनकर ऐसा लगता है मानों वे आपके और हमारे हाल-ए-दिल का अंदाज-ए-बँया
कर रहे है। हेमन्त कुमार की मखमली आवाज का जादू, मधुर संगीत के तान, लफ्जों का
रूहानी अंदाज हमें मस्ती में झूमने पर और तन्हाई में गुनगुनाने पर मजबूर कर देता
है।
बंगाली गायक,
कम्पोजर व प्रोड्यूसर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले हेमन्त कुमार का जीवन भी
संगीत व लेखन के इर्द-गिर्द ही घुमता रहा। उनके बारे में यह कहना गलत नहीं होगा कि
उनका यौवन संगीत के माहौल से सजकर ही सुंदर रूप में उभरा था। तभी तो इंजीनियरिंग
की पढ़ाई छोड़कर वह अपनी ही दुनिया यानि कि संगीत की दुनिया में रम गए। सन् 1933
में हेमन्त दा ने ऑल अंडिया रेडियों के लिए अपना पहला गीत गाकर गीत-संगीत की
दुनिया में कदम रखा। यदि हम हेमन्त दा के परिवार की बात करें तो सुकोमल भावनाओं
वाले कवि हृदय हेमन्त कुमार के बड़े भाई तारा ज्योति लघु कथा लेखक और छोटे भाई अमल
मुखोपाध्याय म्यूजिक कंपोजर थे। हेमंत दा की पत्नी बेला मुखर्जी बंगाली गायिका थी।
हेमन्त दा की दो संताने जयंत और रानू थी। जयंत का विवाह 70 के दशक की अभिनेत्री
मौसमी चटर्जी के साथ हुआ था।
हेमन्त दा का जिक्र
उनके सुरों व संगीत से सजे गीतों के बगैर अधूरा है। आज के दौर के प्रेमियों को भी अपनी प्रेम ताल में नचाने वाले, उनमें रोमांस का सुरूर पैदा करने वाले, प्रेमियों की प्रेमिल भावनाओं को मधुर साज व गीत के ताने बाने से गूँथकर प्रेम राग को पवित्र बनाने वाले हेमन्त दा की गायकी का कोई सानी नहीं है। तो क्यों न सुरों के इस अज़ीज़ फनकार के उन गीतों पर एक नज़र
डालें, जिन्हें हेमन्त दा ने अपनी मौसिकी के जादू से श्रृंगारित कर नव सुंदरता प्रदान की थी –
तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतजार है ...
ना तुम हमें जानो,
ना हम तुम्हे जाने ...
न जाओ सैया, छुड़ा
के बैंया, कसम तुम्हारी मैं रो पडूँगी ...
जरा नज़रों से कह दो
जी ...
न तुम हमें जानो, न
हम तुम जाने ...
है अपना दिल तो
आवारा, ना जाने किसपे आएगा ...
ये नयन डरे-डरे ....
जाने वो कैसे लोग थे
...
कहीं दीप जले कहीं
दिल ...
- गायत्री
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