चोरी-चोरी कोई आएँ, चुपके-चुपके ...
‘उमराव जान’ का नवाब
सुल्तान, ‘साथ-साथ’ का अविनाश और ‘चश्मेबद्दूर’ का सिद्धार्थ ... आप सभी को याद होगा।
इन किरदारों पर गौर फरमाने पर आपके जेहन में एक मुस्कुराता चेहरा आएगा। कशीदाकारी
से सजी शेरवानी और नवाबी टोपी के साथ ही गोल-मटोल गालो पर आड़ करते लंबे बालों का उनका
वो लाजवाब लुक भूलाएँ नहीं भूलता। अब कुछ याद आया आपको? जी हाँ, मैं बात कर रही हूँ
गुजराती बटेका (आलू) से दिखने वाले गोल-मोल फारूख शेख की, जो कि फिल्म इंडस्ट्री में एक जाना-पहचाना नाम है। फारूख का नाम आते ही हम
सबकी ज़ुबा पर दिप्ती नवल का नाम जरूर आता है आखिर हो भी क्यों न, 7 फिल्मों में
कमाल-धमाल करने वाली दिप्ती और फारूख की जोड़ी अपने समय की हिट जोडि़यों
में शुमार थी। आज भी ताज़ा-तरीन लगने वाले ‘ये तेरा घर, ये मेरा घर ...’, ‘चोरी-चोरी
कोई आए, चुपके, चुपके ... ’, ‘नूरी,नूरी ...’ जैसे कई सदाबहार नग़में फारूख पर
फिल्माएँ गए थे। बड़े पर्दे के कलाकार फारूख की लाजवाब शक्सियत के जादू से छोटा
पर्दा भी अछूता नहीं था। फिल्मों में दिप्ती नवल के साथ प्रेम की मीठी नोंक-झोक कर
दर्शकों को गुदगुदाने वाले फारूख छोटे पर्दे पर ‘जीना इसी का नाम है’ शो के जरिए
अपनी एक अलग छाप छोड़ गए।
एक बेहतर कार्यक्रम
प्रस्तोता के रूप में फारूख ने ‘जीना इसी का नाम है’ शो में दर्शकों की खूब दाद
बटोरी। इस शो में वे मशहूर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज से गुफ्तगू करते व उनके जीवन के खट्टे-मीठे
अनुभवों से दर्शकों का मनोरंजन करते नजर आते थे। छोटे पर्दे पर फारूख चमत्कार, जी
मंत्री जी, श्रीकांत जैसे सीरियलों में भी नजर आएँ। रंगमंच पर भी फारूख ने अपनी बेहतरीन
अदाकारी के कारण दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। फिल्मों व टीवी सीरियलों के साथ ही
रंगमंच पर ‘आपकी अमृता’ और ‘आपकी सोनिया’ जैसे कई नाटकों में फारूख एक महत्वपूर्ण
कलाकार के रूप में नज़र आएँ। सत्यजीत रे, ऋषिकेश मुखर्जी, केतन मेहता, मुजफ्फर अली
जैसे नामचीन डायरेक्टर की फिल्मों जैसे गर्म हवा, शतरंज के खिलाड़ी, चश्मेबद्दूर,
नूरी, लाहौर, किसी से न कहना में फारूख ने अपनी लाजवाब अदाकारी का कमाल दिखाया।
फिल्म
लाहौर के लिए फारूख को वर्ष 2010 में बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर के नेशनल अवार्ड से
सम्मानित किया गया। पिछले कुछ वर्षों में फारूख को टेल मी ओ खुदा (2011), शंघाई (2012),
ये जवानी है दिवानी (2013), क्लब 60 (2013) जैसी कई फिल्मों में देखा गया। हालांकि
फारूख ने 65 वर्षों की अपनी जिंदगी में कम फिल्मों में काम किया लेकिन उनकी झोली
में आई कुछ फिल्में भी चुनिंदा थी, जिसमें उनकी उम्दा अदाकारी ने उन्हें बड़े
पर्दे पर सदा के लिए अमर बना दिया।
फारूख की तारीफ में
यदि कुछ कहा जाएँ तो मैं यही कहूँगी कि फारूख वह इत्र थे, जिसकी भीनी महक आज भी
बड़े पर्दे पर काबिज है। अपने लाजवाब फिल्मी करियर में छोटी-छोटी उड़ाने भरते और
हर फिल्म में अपनी एक अलग छाप छोड़ते फारूख शेख 27 दिसम्बर 2013 को दुबई में हमसे सदा
के लिए अलविदा कहकर चले गए।
- - गायत्री
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